Wednesday, 31 March 2010
कशाले काय म्हनू नही
बिना कपाशीनं उले
त्याले बोंड म्हनू नही
हरी नामाईना बोले
त्याले तोंड म्हनू नही
नही वा-यानं हाललं
त्याले पण म्हनू नही
नही ऐके हरीनाम
त्याले कान म्हनू नही
पाटा येहेरीवाचून
त्याले मया म्हनू नही
नही देवाचं दर्सन
त्याले डोया म्हनू नही
निजवते भुक्या पोटी
तिले रात म्हनू नही
आखडला दानासाठी
त्याले हात म्हनू नही
ज्याच्यामधी नही पाणी
त्याले हाय म्हनू नही
धावा ऐकून आडला
त्याले पाय म्हनू नही
येहेरीतून ये रिती
तिले मोट म्हनू नही
केली सोताची भरती
त्याले पोट म्हनू नही
नही वळखला कान्हा
तिले गाय म्हनू नही
जिले नही फुटे पान्हा
तिले माय म्हनू नही
अरे, वाटच्या दोरीले
कधी साप म्हनू नही
इके पोटच्या पोरीले
त्याले बाप म्हनू नही
दुधावर आली बुरी
तिले साय म्हनू नही
जिची माया गेली सरी
तिले माय म्हनू नही
इमानाले इसरला
त्याले नेक म्हनू नही
जल्मदात्याले भोवला
त्याले लेक म्हनू नही
ज्याच्यामधी नही भाव
त्याले भक्ती म्हनू नही
ज्याच्यामधी नही चेव
त्याले शक्ती म्हनू नही
बहिणाबाई चौधरी
संकलन:प्रवीण कुलकर्णी
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हंस-दमयंती
Dhingana
an alcoholic
- Pravin Kulkarni
- Pune, Maharashtra, India
- Hi.. I am Pravin and I am an alcoholic....
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