Saturday, 20 March 2010

खलील जिब्रान


ज्ञान जब इतना घमण्डी बन जाए कि वह रो सके,
इतना गम्भीर बन जाए कि वह हँस सके
और इतना आत्म केन्द्रित बन जाए कि
अपने सिवा और किसी की चिन्ता करे ,
तो वह ज्ञान
अज्ञान से भी ज़्यादा ख़तरनाक होता है

संकलक:प्रवीण कुलकर्णी

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हंस-दमयंती

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